श्री गणेशाय नम:
Devotional Thoughts
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GOD prayers & poems
प्रभु प्रेरणा से संकलन द्वारा चन्द्रशेखर करवा
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SERIAL NO. TITLE OF PRAYER / POEM BHAZAN / POEM BHAZAN / POEM LANGUAGE SENDER'S NAME EDITOR'S INTRODUCTION
21 हनुमान-प्रार्थना (रूपमाला छन्द) BHAZAN Hindi Suresh Kumar “Saurabh” A poem (Bhazan) on LORD Shri Hanumanji, an ardent devotee of LORD Shri Ramji soliciting the guidance of LORD in our difficult times.
22 प्रार्थना: अच्छा बनूँ इंसान मैं (गीतिका गीत) Poem Hindi Suresh Kumar “Saurabh” A poem praying to the LORD to give enough wisdom, strength and courage to enable us to become a morally perfect human being.
23 पवनपुत्र-बजरंगबली BHAZAN Hindi Suresh Kumar “Saurabh” A poem (Bhazan) on LORD Shri Hanumanji, an ardent devotee of LORD Shri Ramji narrating His devotion towards LORD Shri Ramji.
24 हनुमान-वन्दना ( तोटक छन्द ) BHAZAN Hindi Suresh Kumar “Saurabh” A poem (Bhazan) in Totak Chand on LORD Shri Hanumanji, an ardent devotee of LORD Shri Ramji. The poem seeks the blessings of the LORD.
25 LORD RAM IS BEAUTIFUL AND POWERFUL Poem English Devyukta Karwa A poem on LORD RAM narrating the sentiments of a young mind towards the LORD whom he portrays as his idol. The poem is written by a 11 year old boy.
26 LORD SHIVA Poem English Ms Manisha Belani A poem on LORD SHIVA narrating how simple offering pleases the LORD who is the absolute personification of peace & strength.
27 SHRI GANESH CHATURTHI Poem English Ms Manisha Belani A poem on LORD GANESHA, the first of the Hindu deity, who fulfills our dreams and removes all the obstacles from our life. The poem highlights the auspicious festival of Shri Ganesh Chaturthi.
28 कहो कब लोगे प्रभु जी खबरिया BHAZAN Hindi Suresh Kumar "Saurabh" A poem (Bhazan) on Bhagawati Sabari narrating her sentiments towards LORD Shri Ramji. A great devotee of LORD, she received the blessings of the LORD who met her during exile.
29 भज ले, राम राम राम, रट ले श्याम श्याम श्याम BHAZAN Hindi Suresh Kumar "Saurabh" A poem (Bhazan) pleading us to take the Holy name of the LORD. The Bhazan reminds us that in pursue of worldliness, we forget the utterance of the LORD's name and thus waste our life.
30 तेरे द्वारे आकर मन को ऐसा मिला आराम BHAZAN Hindi Suresh Kumar "Saurabh" A poem (Bhazan) pleading us to surrender at the doorsteps of the LORD. Only by doing so we are able to fulfill our human life motto.
Serial No. Post
21 हनुमान-प्रार्थना (रूपमाला छन्द)

पवनसुत अंजनी-नन्दन, बुद्धि-बल के खान ।
श्रेष्ठ-कपि श्रीराम के हे ! दास सर्वमहान ।।
कृपा हमपर कीजिए हर, लीजिए हर कष्ट ।
दीजिए प्रभु सुमति अब सब, कुमति कीजै नष्ट ।।1।।

मार्ग अब दिखलाइए तम, छा गया चहुओर ।
दु:ख की है यामिनी सुख, की न आती भोर ।।
दीन हैं हम आप हैं प्रभु, दीनबन्धु महान ।
दीनता को हे दयानिधि, लीजिए पहचान ।। 2।।

ज्योति मन में भक्ति की अब, जले बनकर दीप ।
हृदय को हम बना लेंवे, एक ऐसा सीप ।।
मोतियों के भाँति उसमें, आप का हो वास ।
सदा रहिए राम जी के, भक्त मेरे पास ।।3।।

बसा है हिय में हमारे, पाप-छल का भौन ।
पतित हम-सा इस जगत में, भला होगा कौन ?
पापियों को आप प्रभु जी, दिया करते तार ।
डोलती 'सुर-ईश' की भी, नाव कर दो पार ।।4।।



नाम / Name : Suresh Kumar “Saurabh”
प्रकाशन तिथि / Published on : 03 Sept 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मैं सुरेश कुमार " सौरभ " 21 वर्षीय एक साधारण नवयुवक एवं छात्र हूँ । मैं सादा जीवन और उच्‍च विचार की धारणा में विश्‍वास रखता हूँ । मुझे अपनी राजभाषा हिन्‍दी से विशेष लगाव है ।
अति संवेदनशील होने के कारण दुसरो के दुःख एवं मजबूरियों को देखकर व्‍यथित हो जाता हूँ । मैं ज्‍यादा की लालच नहीं करता हूँ । प्रभु जितना देते हैं, जिस अवस्‍था में रखते हैं, मैं उसी में संतुष्‍ट हो जाता हूँ ।
जब कोई व्‍यक्ति किसी से उसका धर्म पूछता है, तब मुझे बहुत बुरा लगता है । मेरे लिए धर्म वही है जो महाकवि गोस्‍वामी तुलसीदासजी ने कहा है " परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीडा सम नहिं अधमाई " ।
किसी को कष्‍ट न पहुंचाना मेरा प्रयास होता है और नेक इंसान बनना मेरे जीवन का उद्देश्य ।
22 प्रार्थना: अच्छा बनूँ इंसान मैं (गीतिका गीत)

क्या करूँगा हे प्रभो होकर बड़ा धनवान मैं ?
हो कृपा इतनी प्रभो अच्छा बनूँ इंसान मैं ।।

(1)
महल-धन दोगे कृपानिधि ध्वस्त ही होंगे कभी
वैभवों के सूर्य सारे अस्त ही होंगे कभी

मुझे उतना दो कि बस जीवन सुगमता से चले
द्वार पर आया बुभुक्षा से नहीं कोई जले

पहनने को पट, सदन-लघु, चाहता भगवान मैं ।
हो कृपा इतनी प्रभो अच्छा बनूँ इंसान मैं ।।

(2)
सीख जाऊँ दया करना प्रीत करना जान लूँ
दीन-दुखियों के लिए कर्तव्य को पहचान लूँ

वृद्ध की लाठी बनूँ बाँहें पकड़के ले चलूँ
डूबते की नाव को नाविक सरेखा खे चलूँ

पुण्य के हर काज में सहयोग का दूँ दान मैं ।
हो कृपा इतनी प्रभो अच्छा बनूँ इंसान मैं ।।

(3)
स्वयं के लाभार्थ न मैं हानि कोई का करूँ
मार्ग जो हो बुरा मैं उस मार्ग पर ना पग धरूँ

छीनना अधिकार, जीवन में नहीं आये कभी
बे-ईमानी हृदय में घर ना बना पाये कभी

निष्कपट मन हो यही माँगू सदा वरदान मैं ।
हो कृपा इतनी प्रभो अच्छा बनूँ इंसान मैं ।।

(4)
जो बड़ा मुझसे उसे आदर तथा सम्मान दूँ
मात-पितु, गुरुजनों को वन्दन करूँ अतिमान दूँ

सत्य सोचूँ, सत्य चाहूँ, सत्य की पूजा करूँ
सत्य से होकर परे ना कर्म मैं दूजा करूँ

सत्यवादी रूप में जग में रखूँ पहचान मैं ।
हो कृपा इतनी प्रभो अच्छा बनूँ इंसान मैं ।।

(5)
हो भुजाओं में असीमित शक्ति है ये कामना
आत्मबल गिर जाय तो मुझको सदा तुम थामना

राष्ट्र के हित काम आने की प्रबल इच्छा जगे
आग मन में मातृभारत के लिए ऐसी लगे

प्राप्त हो अवसर कभी तो दे सकूँ बलिदान मैं ।
हो कृपा इतनी प्रभो अच्छा बनूँ इंसान मैं ।।




नाम / Name : Suresh Kumar “Saurabh”
प्रकाशन तिथि / Published on : 05 Sept 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मैं सुरेश कुमार " सौरभ " 21 वर्षीय एक साधारण नवयुवक एवं छात्र हूँ । मैं सादा जीवन और उच्‍च विचार की धारणा में विश्‍वास रखता हूँ । मुझे अपनी राजभाषा हिन्‍दी से विशेष लगाव है ।
अति संवेदनशील होने के कारण दुसरो के दुःख एवं मजबूरियों को देखकर व्‍यथित हो जाता हूँ । मैं ज्‍यादा की लालच नहीं करता हूँ । प्रभु जितना देते हैं, जिस अवस्‍था में रखते हैं, मैं उसी में संतुष्‍ट हो जाता हूँ ।
जब कोई व्‍यक्ति किसी से उसका धर्म पूछता है, तब मुझे बहुत बुरा लगता है । मेरे लिए धर्म वही है जो महाकवि गोस्‍वामी तुलसीदासजी ने कहा है " परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीडा सम नहिं अधमाई " ।
किसी को कष्‍ट न पहुंचाना मेरा प्रयास होता है और नेक इंसान बनना मेरे जीवन का उद्देश्य ।
23 पवनपुत्र-बजरंगबली

पवनपुत्र-बजरंगबली जो, तुमरी महिमा गाते हैं ।
कृपापात्र बनकर वो प्रभुजी, मनवांछित फल पाते हैं ।।

(1)
तुम्हें पता है, कौन दुखी है, किसको क्या लाचारी है.
अपने भक्तों की हर पीड़ा, हे प्रभु पीड़ तुम्हारी है.
सुख की वर्षा में भींगे जो, तुमरे द्वारे आते हैं ।।
पवनपुत्र-बजरंगबली जो, तुमरी महिमा गाते हैं ।
कृपापात्र बनकर वो प्रभुजी, मनवांछित फल पाते हैं ।।

(2)
निर्बल के प्रभु तुम ही बल हो, करते हो उनका कल्याण.
कृपा दृष्टि हर अबलों पर तुम, रखते हो हरदम हनुमान.
उनके लिए हो प्रबल-विनाशक, दुखियों को जो सताते हैं ।।
पवनपुत्र-बजरंगबली जो, तुमरी महिमा गाते हैं ।
कृपापात्र बनकर वो प्रभुजी, मनवांछित फल पाते हैं ।।

(3)
तुमरे बल का कर सकता है, कोई भी अनुमान नहीं.
मूर्ख निरा वो जिसको तुमरी, शक्ति का कुछ भान नहीं.
बलशाली हैं तभी पवनसुत, महावीर कहलाते हैं ।।
पवनपुत्र-बजरंगबली जो, तुमरी महिमा गाते हैं ।
कृपापात्र बनकर वो प्रभुजी, मनवांछित फल पाते हैं ।।

(4)
तुम-सा कोई राम-सिया का, हुआ नहीं है अबतक दास.
आठों प्रहर ही तुमरे हिय में, करते सीता-राम निवास.
जग देखा है भक्ति आपकी, हृदय चीर दिखलाते हैं ।।
पवनपुत्र-बजरंगबली जो, तुमरी महिमा गाते हैं ।
कृपापात्र बनकर वो प्रभुजी, मनवांछित फल पाते हैं ।।




नाम / Name : Suresh Kumar “Saurabh”
प्रकाशन तिथि / Published on : 17 Sept 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मैं सुरेश कुमार " सौरभ " 21 वर्षीय एक साधारण नवयुवक एवं छात्र हूँ । मैं सादा जीवन और उच्‍च विचार की धारणा में विश्‍वास रखता हूँ । मुझे अपनी राजभाषा हिन्‍दी से विशेष लगाव है ।
अति संवेदनशील होने के कारण दुसरो के दुःख एवं मजबूरियों को देखकर व्‍यथित हो जाता हूँ । मैं ज्‍यादा की लालच नहीं करता हूँ । प्रभु जितना देते हैं, जिस अवस्‍था में रखते हैं, मैं उसी में संतुष्‍ट हो जाता हूँ ।
जब कोई व्‍यक्ति किसी से उसका धर्म पूछता है, तब मुझे बहुत बुरा लगता है । मेरे लिए धर्म वही है जो महाकवि गोस्‍वामी तुलसीदासजी ने कहा है " परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीडा सम नहिं अधमाई " ।
किसी को कष्‍ट न पहुंचाना मेरा प्रयास होता है और नेक इंसान बनना मेरे जीवन का उद्देश्य ।
24 हनुमान-वन्दना ( तोटक छन्द )

बजरंगबली, हनुमान सुनो ।

विनती अब लो, प्रभु मान सुनो ।।

हम दीन बड़े, तुम जान रहे।

दयनीय दशा, पहचान रहे ।।

यह सिन्धु महा, दिखता भव का ।

घिरती अब तो, अपनी नवका ।।

तुम दृष्टि-कृपा, इक बार करो ।

नवका तुम ही, अब पार करो ।।

नत शीश किये, प्रभु वन्दन है ।

'सुर सौरभ' का, अभिनन्दन है ।।




नाम / Name : Suresh Kumar “Saurabh”
प्रकाशन तिथि / Published on : 24 Sept 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मैं सुरेश कुमार " सौरभ " 21 वर्षीय एक साधारण नवयुवक एवं छात्र हूँ । मैं सादा जीवन और उच्‍च विचार की धारणा में विश्‍वास रखता हूँ । मुझे अपनी राजभाषा हिन्‍दी से विशेष लगाव है ।
अति संवेदनशील होने के कारण दुसरो के दुःख एवं मजबूरियों को देखकर व्‍यथित हो जाता हूँ । मैं ज्‍यादा की लालच नहीं करता हूँ । प्रभु जितना देते हैं, जिस अवस्‍था में रखते हैं, मैं उसी में संतुष्‍ट हो जाता हूँ ।
जब कोई व्‍यक्ति किसी से उसका धर्म पूछता है, तब मुझे बहुत बुरा लगता है । मेरे लिए धर्म वही है जो महाकवि गोस्‍वामी तुलसीदासजी ने कहा है " परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीडा सम नहिं अधमाई " ।
किसी को कष्‍ट न पहुंचाना मेरा प्रयास होता है और नेक इंसान बनना मेरे जीवन का उद्देश्य ।
25 LORD RAM IS BEAUTIFUL AND POWERFUL

Lord Ram is very beautiful,
His name is very powerful.

When we take Lord Ram’s name with believe,
Lots of problem gets solved and we get relief.

Why Lord Ram has bow and arrow ?
To bless His devotee who has sorrow.

Why do we pray to Lord Ram ?
To thank him for giving ‘Aaram’.




नाम / Name : Devyukta Karwa
प्रकाशन तिथि / Published on : 03 Oct 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : I am a 11 year old boy. I love writing poems and bhazans on LORD. I love taking pictures of GOD idols and have a collection of photo templates of the LORD. I love reading pictural stories of LORD and love watching DVS of mythological tales of the LORD.
I love Hindi language as a son loves his mother.
I want to associate myself in whatsoever manner I can in service of LORD because I love the companionship of the LORD.
26 LORD SHIVA

A quick connect to Lord Shiva......
Just offer water, milk & beel leaves to the Linga......

Lord Shiva is known as Bholanath......
He fulfills desires for the ones who follow a simple prayer path......

Shiva is a snow mountain of calmness and peace,
Look at the image of Shiva deep, your state will turn to ease !

Lord Shiva is the absolute personification of beauty & strength !
Defining Lord Shiva is beyond all boundaries of structures & measurable length......

Lord Shiva has a magnetic smile !
When you see the Shiva smile,
You will ponder for a while......

Lord Shiva has a glow of contentment on his face......
Lord Shiva can easily take us out this rat race......

Lord Shiva says “Be simple with a clean innocent heart !”
Lord Shiva says “See the Divinity that flows with blessings for the ones playing a humane part !”




नाम / Name : Ms Manisha Belani
प्रकाशन तिथि / Published on : 04 Oct 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : I, Manisha Belani, 36 years, am working as Asst. Manager PR & Client Servicing in Flags Communications Pvt. Ltd. I am fun loving, bubbly and full of life. I love to write poems, also I love to sing and to dance. I believe humanity is the greatest gift we can give GOD.... Real Gratitude to the ALMIGHTY is in giving, that's the actual living !'
I live for Shree Krishna and I will work for Shree Krishna ! As Shree Krishna is my lover & meaning of my life !
27 SHRI GANESH CHATURTHI

Lord Ganesha is warmly welcomed,
With bhajans & prayers musically hummed......

Ganesha is the god of knowledge & wisdom,
Lord Ganesha has an attraction for food & Prasad system !

Lord Ganesha comes to make us happy & to fulfil our dreams !
Lord Ganesha takes away our obstacles as he goes back, hearing all our screams !

Lord Ganesha you bring fulfillment & delight,
Lord Ganesha you take away my pains & my plight !

Just by seeing you Ganesha, I can smile !
Ooh Ganesha I feel you listen to my words and bless me all the while......

Lord Ganesha you are very auspicious and great !
I love you dear Ganesha !
Ganesh Chaturthi is a festival for which I will always wait......




नाम / Name : Ms Manisha Belani
प्रकाशन तिथि / Published on : 05 Oct 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : I, Manisha Belani, 36 years, am working as Asst. Manager PR & Client Servicing in Flags Communications Pvt. Ltd. I am fun loving, bubbly and full of life. I love to write poems, also I love to sing and to dance. I believe humanity is the greatest gift we can give GOD.... Real Gratitude to the ALMIGHTY is in giving, that's the actual living !'
I live for Shree Krishna and I will work for Shree Krishna ! As Shree Krishna is my lover & meaning of my life !
28 कहो कब लोगे प्रभु जी खबरिया

कहो कब लोगे प्रभु जी खबरिया ?
थकी रहिया निहारत नजरिया ।

राम वन में गमन कर रहे आजकल,
सुनके ये बात शबरी हुई रे विकल,
आस मन में है रघुवर के होंगे दर्शन,
और होगा सफल उसका सारा जीवन,
बाट जोहे में बीती उमरिया ।
कहो कब लोगे प्रभु जी खबरिया ?

हमरे प्रभु जी के पाँवों न तिनका पड़े,
उनके चरणों में कोई न कंटक गड़े,
लीन शबरी है प्रभु जी के अनुराग में,
नित्य जाती है चुनने कुसुम बाग में,
फूल रहती बिछाती डगरिया ।
कहो कब लोगे प्रभु जी खबरिया ?

प्रभु आएँ तो धोएगी उनके चरन,
बैठने को उन्हें देगी कोमल आसन,
राम जी को खिलाने को वो मीठे फल,
भीलनी बड़ी आतुर रहे प्रतिपल,
बेर चख-चखके रखती शबरिया ।
कहो कब लोगे प्रभु जी खबरिया ?

भक्तिरस से भरी मन की गगरी रखे,
प्रभु चरणन में प्रीत जैसी शबरी रखे,
धन नहीं, यश नहीं, कुछ नहीं माँगती,
प्रभु दर्शन ही 'सौरभ' वो बस चाहती,
ऐसी भक्ति हो जिसके भितरिया ।
प्रभु लेंगे ही उसकी खबरिया ।।




नाम / Name : Suresh Kumar “Saurabh”
प्रकाशन तिथि / Published on : 31 Oct 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मैं सुरेश कुमार " सौरभ " 21 वर्षीय एक साधारण नवयुवक एवं छात्र हूँ । मैं सादा जीवन और उच्‍च विचार की धारणा में विश्‍वास रखता हूँ । मुझे अपनी राजभाषा हिन्‍दी से विशेष लगाव है ।
अति संवेदनशील होने के कारण दुसरो के दुःख एवं मजबूरियों को देखकर व्‍यथित हो जाता हूँ । मैं ज्‍यादा की लालच नहीं करता हूँ । प्रभु जितना देते हैं, जिस अवस्‍था में रखते हैं, मैं उसी में संतुष्‍ट हो जाता हूँ ।
जब कोई व्‍यक्ति किसी से उसका धर्म पूछता है, तब मुझे बहुत बुरा लगता है । मेरे लिए धर्म वही है जो महाकवि गोस्‍वामी तुलसीदासजी ने कहा है " परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीडा सम नहिं अधमाई " ।
किसी को कष्‍ट न पहुंचाना मेरा प्रयास होता है और नेक इंसान बनना मेरे जीवन का उद्देश्य ।
29 भज ले, राम राम राम, रट ले श्याम श्याम श्याम

रखा कर अधर पर अपने, प्रभु जी का नाम ।
भज ले, राम राम राम, रट ले श्याम श्याम श्याम ।।

कातर हृदय से जो भी, उनको पुकारता,
है वो कृपा का सागर, बिगड़ी सँवारता,
छोड़ दे तू जग का मोह, लोभ, क्रोध, काम ।
भज ले, राम राम राम, रट ले श्याम श्याम श्याम ।।

खोल बन्द नयनों को तू, देर कर न जाग रे,
काहे भटकता फिरता, काशी प्रयाग रे,
तीर्थराज मन है, मन ही, है चारों धाम ।
भज ले, राम राम राम, रट ले श्याम श्याम श्याम ।।

बाल्य-प्रात बीता आई, यौवन - दोपहरी,
समय अब गँवा मत ऐसे , बात एक सुन री,
एक दिवस ढल जाएगी, जीवन की शाम ।
भज ले, राम राम राम, रट ले श्याम श्याम श्याम ।।

आया जगत में 'सौरभ', था खाली हाथ रे,
धर्म तू कमा ले ये ही, जाता है साथ रे,
काज ऐसा कर, जाने पर, करें सब प्रणाम ।
भज ले, राम राम राम, रट ले श्याम श्याम श्याम ।।




नाम / Name : Suresh Kumar “Saurabh”
प्रकाशन तिथि / Published on : 30 Dec 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मैं सुरेश कुमार " सौरभ " 21 वर्षीय एक साधारण नवयुवक एवं छात्र हूँ । मैं सादा जीवन और उच्‍च विचार की धारणा में विश्‍वास रखता हूँ । मुझे अपनी राजभाषा हिन्‍दी से विशेष लगाव है ।
अति संवेदनशील होने के कारण दुसरो के दुःख एवं मजबूरियों को देखकर व्‍यथित हो जाता हूँ । मैं ज्‍यादा की लालच नहीं करता हूँ । प्रभु जितना देते हैं, जिस अवस्‍था में रखते हैं, मैं उसी में संतुष्‍ट हो जाता हूँ ।
जब कोई व्‍यक्ति किसी से उसका धर्म पूछता है, तब मुझे बहुत बुरा लगता है । मेरे लिए धर्म वही है जो महाकवि गोस्‍वामी तुलसीदासजी ने कहा है " परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीडा सम नहिं अधमाई " ।
किसी को कष्‍ट न पहुंचाना मेरा प्रयास होता है और नेक इंसान बनना मेरे जीवन का उद्देश्य ।
30 तेरे द्वारे आकर मन को ऐसा मिला आराम

तेरे द्वारे आकर मन को ऐसा मिला आराम ।
जैसे धूप में जलकर कोई पा जाता है शाम ।।

मैंने भगवन इतने दिन तक पाप की गठरी ढोई,
दया दान और परोपकार का काम किया न कोई,
महापापियों को तारे मेरा भी बनाना काम ।
तेरे द्वारे आकर मन को ऐसा मिला आराम ।
जैसे धूप में जलकर कोई पा जाता है शाम ।1।

जग की भूलभुलैया में मैंने मन को भटकाया,
मानुस तन किस भाग्य मिला इसका न लाभ उठाया,
लख चौरासी में आना है, जाना न परिणाम ।
तेरे द्वारे आकर मन को ऐसा मिला आराम ।
जैसे धूप में जलकर कोई पा जाता है शाम ।2।

भक्ति की ज्योति जला दो मन में हे रघुराई ऐसा,
भक्त तुम्हारा मैं हो जाऊँ पवनपुत्र के जैसा,
आठो पहर भजूँ मैं सीता - राम, सीता - राम ।
तेरे द्वारे आकर मन को ऐसा मिला आराम ।
जैसे धूप में जलकर कोई पा जाता है शाम ।3।




नाम / Name : Suresh Kumar “Saurabh”
प्रकाशन तिथि / Published on : 31 Dec 2013

संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मैं सुरेश कुमार " सौरभ " 21 वर्षीय एक साधारण नवयुवक एवं छात्र हूँ । मैं सादा जीवन और उच्‍च विचार की धारणा में विश्‍वास रखता हूँ । मुझे अपनी राजभाषा हिन्‍दी से विशेष लगाव है ।
अति संवेदनशील होने के कारण दुसरो के दुःख एवं मजबूरियों को देखकर व्‍यथित हो जाता हूँ । मैं ज्‍यादा की लालच नहीं करता हूँ । प्रभु जितना देते हैं, जिस अवस्‍था में रखते हैं, मैं उसी में संतुष्‍ट हो जाता हूँ ।
जब कोई व्‍यक्ति किसी से उसका धर्म पूछता है, तब मुझे बहुत बुरा लगता है । मेरे लिए धर्म वही है जो महाकवि गोस्‍वामी तुलसीदासजी ने कहा है " परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीडा सम नहिं अधमाई " ।
किसी को कष्‍ट न पहुंचाना मेरा प्रयास होता है और नेक इंसान बनना मेरे जीवन का उद्देश्य ।