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Real-life memoir by Smt. Vimla RamNarayan Charkha titled प्रभु द्वारा इच्छा की पूर्ति
Indexed as (1) PILGRIMAGE MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how an auspicious desire is fulfilled instantly by GOD. If we take a step forward towards GOD, He takes care of the rest.
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प्रभु द्वारा इच्छा की पूर्ति
श्रीवृंदावन धाम में श्रीमद् भागवतजी की कथा हो रही थी एवं स्वर्गाश्रम (ऋषिकेश) में भी श्रीमद् भागवतजी के दशम स्कंध की कथा का आयोजन था ।
मुझे कथा सुनने की प्रबल इच्छा थी और साथ ही श्रीवृंदावन धाम में श्री गिरिराजजी एवं ऋषिकेश में भगवती गंगा माता के दर्शन की इच्छा थी ।
पर पहले कोई प्रोग्राम नहीं था इसलिए टिकट नहीं बनवाई थी । ऐन मौके पर जाने की इच्छा प्रबल हुई तो मैंने मेरी भांजी को फोन किया जो कि वहाँ जा रही थी । मैंने मेरी प्रबल इच्छा बतलाई तो प्रभु की साक्षात कृपा के दर्शन मुझे हुए जब मेरी भांजी ने कहा कि मेरे पास एक टिकट अधिक है क्योंकि जिनको मेरे साथ उस टिकट पर जाना था उनका प्रोग्राम रद्द हो गया है ।
मेरी भांजी के यहाँ से मेरे गांव कोई गाड़ी आ रही थी तो मेरी भांजी ने कहा कि आप तुरंत तैयार हो जाओ और गाड़ी जब वापस आए तो उसमें बैठ कर आ जाना । मुझे ऐसा लगा मानो प्रभु ने घर पर गाड़ी भेजकर मुझे घर से ले जाने की एवं आगे की पूरी व्यवस्था कर दी हो ।
हम श्रीवृंदावन धाम पहुँचे । वहाँ तीन दिन रुके एवं प्रभु श्री गिरिराजजी की परिक्रमा की । फिर स्वर्गाश्रम (ऋषिकेश) पहुँचे और भगवती गंगा माता के दर्शन किए और प्रभु कथा का श्रवण किया ।
जो संकल्प मन में किया था उसे इस तरह प्रभु ने पूरा करा दिया ।
इस यात्रा की एक और घटना मैं बताना चाहती हूँ जहाँ प्रभु ने साक्षात मेरी रक्षा की । श्रीमथुरा रेलवे स्टेशन पर मैं रेल पटरी पार कर रही थी कि अचानक गिर गई । उसी समय पीछे से उसी पटरी पर रेलगाड़ी आ रही थी । मैं तो एकदम घबरा गई । मेरा चश्मा गिर गया था और मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । प्रभु ने साक्षात रक्षा की और मुझे उस विपत्ति से बचाया ।
मैंने प्रभु श्री गिरिराजजी एवं भगवती गंगा माता के दर्शन की इच्छा की और प्रभु कथा सुनने की इच्छा की और तत्काल प्रभु ने बुलावा भेजा । आधे घंटे में ही घर पर गाड़ी लेने आ गई और आधे घंटे में आनन फानन में तैयारी करके मैं रवाना हो गई ।
प्रभु सात्विक संकल्प तत्काल पूरे करते हैं, यह अनुभूति हुई और पूरे प्रसंग में प्रभु कृपा के साक्षात दर्शन मैंने किए । संपादक टिप्पणी - कोई भी सात्विक संकल्प हमारे मन में आता है तो उसे पूरा करने में प्रभु देर नहीं करते । हमारा काम है सात्विक संकल्प मन में लाना, उसे पूरा करने का काम प्रभु तत्काल करते हैं ।
श्रीमती विमला रामनारायण चरखा
वासीम-महाराष्ट्र
नाम / Name : Smt. Vimla RamNarayan Charkha
प्रकाशन तिथि / Published on : 24 April 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मेरी उम्र 60 वर्ष की है । मेरे परिवार में दो बेटे हैं जो हमारे साथ रहते हैं ।
हमारे परिवार पर प्रभु का अनुग्रह सदैव रहा है और प्रभु की भक्ति हमारे परिवार में सदैव होती रही है । इसलिए प्रभु हमारी सभी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं ।
मैंने प्रायः सभी तीर्थों के दर्शन कर लिए हैं और सत्संग का जहाँ भी मौका मिलता है उसका लाभ लेती हूँ ।
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Real-life memoir by Mr. Ram Babu Vijay titled प्रभु ने जीवन को दिशा दी
Indexed as (1) BUSINESS MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how the upkeep of firm faith in GOD and asking GOD to lead the way makes a great banking career from a position of nothing.
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प्रभु ने जीवन को दिशा दी
बात 1967 की है । मैं जहाँ रहता था वहाँ बीकॉम से आगे की पढ़ाई नहीं थी और मुझे एमकॉम करना था । इसलिए नौकरी लगने पर भी इस्तीफा देकर मैंने भोपाल जाकर दाखिला लिया । रहने के लिए होस्टल मिल गया ।
सारी व्यवस्थाएं करने के बाद मेरे पास कुल पांच रुपए बचे थे । मुझे भोपाल जाने से पहले सभी रिश्तेदारों ने समझाया था कि सरकारी नौकरी छोड़कर आगे पढ़ने के लिए मत जाओ पर मैं प्रभु के भरोसे चला गया ।
भोपाल में होस्टल के पास प्रभु श्री लक्ष्मीनारायणजी का मंदिर था जहाँ दर्शन हेतु मैं रोजाना जाता था ।
जब पांच रुपए बचे तो विचार आया कि अब गुजारा कैसे होगा । खाने की व्यवस्था कैसे होगी ।
मेरे गुरु ने मुझसे कहा था कि जीवन में जब भी लगे कि तुम नितांत अकेले हो और सहायता करने वाला कोई नहीं तो प्रभु को पिता मानकर याद करना । संपादक टिप्पणी - प्रभु को श्रद्धा से पिता मानकर अकेलेपन में याद करने पर प्रभु एक पिता की तरह हमारी अंगुली पकड़ लेते हैं ।
मैंने पहले स्नान किया फिर धूप जलाकर प्रभु के महाभारतजी के सारथी स्वरूप का ध्यान किया । मैंने प्रभु से कहा कि मेरा शरीर रथ, इंद्रियाँ घोड़े, बुद्धि सारथी है इसलिए अब प्रभु आप कृपा करके मेरी बुद्धि को अपने शरण में ले लें । मेरे रथ को सही दिशा दें एवं मेरा साथ दें । संपादक टिप्पणी - जीवन रथ को प्रभु के हवाले कर देने से वह कहीं भी अटक नहीं सकता । प्रभु उसे बहुत सरलता से पार लगा देते हैं । मैंने श्रीमद् भगवद् गीताजी के बारहवें अध्याय का पाठ किया ।
फिर होस्टल में जब खाना खाकर लेटा तो एकाएक प्रेरणा हुई की नौकरी के लिए आवेदन करो । मैंने अस्थाई नौकरी के लिए कुछ बैंकों में आवेदन किया और साइकिल पर आवेदन लेकर स्वयं बैंक गया ।
जब मैं एक बैंक में पहुँचा तो वहाँ के मैनेजर ने मेरा आवेदन पढ़कर कहा कि हमारे यहाँ एक पद रिक्त है पर क्योंकि आप मेरे जाति भाई हो इसलिए मैं नहीं रख सकता क्योंकि मेरे ऊपर अंगुली उठ जाएगी । उन्होंने दूसरे बैंक का नाम बताया और कहा कि वहाँ जाओ और मेरा नाम लेकर कहना तो आपका काम हो जाएगा । मैं दूसरे बैंक पहुँचा तो वहाँ के मैनेजर ने कहा कि हमारे यहाँ 15 दिन हेतु स्थान रिक्त है । मैं वापस उस पहले वाले बैंक के मैनेजर को धन्यवाद देने गया ।
तभी वहाँ एक परिचित मिले जिन्होंने पूछा कि कैसे आए हो । जब मैंने उन्हें पूरी बात बताई तो उन्होंने कहा कि मैं यहाँ संघ का सचिव हूँ और तुम्हें इसी बैंक में ज्यादा अवधि की नौकरी दिलाऊँगा । प्रभु कृपा के साक्षात दर्शन मुझे हुए ।
उन्होंने उस बैंक के मैनेजर से बात की जिसने मुझे जाति भाई के आधार पर मना कर दिया था । शाम को छः बजे टाइप हुआ नियुक्ति पत्र मुझे मिल गया जिसमें मुझे नौ महीने के लिए अस्थाई नौकरी मिल गई ।
यह प्रभु की असीम कृपा थी । नौ महीने में काफी पैसे जमा हो गए जिससे पढ़ाई सुचारु रूप से पूरी कर ली ।
फिर प्रभु कृपा से मुझे उसी बैंक में स्थाई नौकरी मिल गई और मैंने 38 वर्ष तक बैंक की नौकरी की ।
प्रभु से पिता रूप में मांगे मार्गदर्शन को प्रभु ने निभाया और राह दिखाई । प्रभु ने उस समय कृपा की जब मेरे पास मात्र पांच रुपए ही शेष बचे थे । संपादक टिप्पणी - प्रभु जब कृपा करते हैं तो शून्यता से निकाल कर परिपूर्णता की तरफ ले जाते हैं ।
राम बाबु विजय
उज्जैन
नाम / Name : Mr. Ram Babu Vijay
प्रकाशन तिथि / Published on : 01 May 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मेरी उम्र 66 वर्ष की है । मैंने M.Com, LLB एवं CA LLB किया है । मैंने ज्योतिष का अध्ययन भी किया है ।
मैंने बैंक की 38 वर्ष सन 1969 से 2008 तक नौकरी की और मुख्य प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुआ ।
परिवार में पत्नी, एक लड़का एवं दो लड़कियां हैं । मैंने सारे तीर्थों के दर्शन कर लिए हैं एवं सत्संग मुझे प्रिय है । जहाँ भी सत्संग का मौका मिलता है, मैं उसका लाभ लेने के लिए जाता हूँ ।
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Real-life memoir by Mr. Balkishan Soni titled तीर्थ में प्रभु कृपा
Indexed as (1) PILGRIMAGE MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how GOD, the Almighty helps a person during a pilgrimage tour and fulfills his desire much more than expected by the person.
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तीर्थ में प्रभु कृपा
श्रीबद्रीनाथ धाम की यात्रा के समय की यह एक घटना है ।
प्रभु के बालरूप में प्रभु श्री लड्डूगोपालजी (श्री लालाजी) की सेवा मैं करता हूँ और प्रभु का विग्रह और प्रभु की सेवा हमेशा मेरे साथ चलती है ।
श्रीबद्रीनाथ धाम की यात्रा हेतु ऋषिकेश से बस की टिकट बुक कराई । श्री लालाजी भी हमारे साथ थे । बस सुबह चार बजे रवाना होनी थी । पर किसी खराबी के कारण बस आई नहीं और मैं बस के इंतजार में विचलित हो उठा क्योंकि अगर समय से बस रवाना नहीं हुई तो हम शाम तक जोशीमठ नहीं पहुँच सकते थे और गेट बंद हो जाने के कारण आगे की यात्रा को नहीं जा सकते थे ।
मैंने श्री लालाजी को कहा कि अब आप कृपा करेंगे तभी दर्शन हो पाएंगे । फिर क्या था । प्रभु ने पुकार सुनी और नई बस पहुँची और हम सुबह सात बजे ऋषिकेश से रवाना हुए । इससे अधिक विलम्ब होता तो हम शाम चार बजे तक जोशीमठ नहीं पहुँच पाते और गेट बंद हो जाता । गेट बंद हो ही रहा था कि बस वाले ने बड़े वेग से बस को गेट के अंदर पहुँचाया ।
मैं दूसरे दिन प्रातः श्रीबद्रीनाथ धाम में था । प्रभु ने मेरी इच्छा पूरी करवा दी पर अभी प्रभु की और कृपा होनी बाकी थी ।
प्रभु श्री बद्रीनाथजी के अभिषेक के समय वहाँ के एक अनजान पंडितजी ने मेरे साथ के श्री लालाजी के विग्रह को उठाया और मंदिर के भीतर ले गए । उन्हें प्रभु ने ऐसी प्रेरणा दी कि उन्होंने कहा कि अभिषेक पूरा होने तक श्री लालाजी वहीं रहेंगे और मुझे भी उन्होंने श्री लालाजी के साथ वहीं पर बैठा दिया ।
मैंने पूरा अभिषेक अपनी आँखों से देखा और इतने करीब से इतने लम्बे समय तक प्रभु के दर्शन पाकर मैं धन्य हो गया ।
मैंने तो सिर्फ श्री लालाजी से श्रीबद्रीनाथ धाम पहुँच जाऊँ, ऐसी इच्छा प्रकट की थी जब ऋषिकेश में समय से बस नहीं आई थी ।
पर प्रभु ने न केवल मुझे सही समय पर श्रीबद्रीनाथ धाम पहुँचाया अपितु इतने दुर्लभ दर्शन इतने समीप से करवाए । संपादक टिप्पणी - सच्चे अन्तःकरण की हमारी सात्विक पुकार प्रभु अवश्य सुनते हैं, यह एक शाश्वत सत्य एवं शाश्वत सिद्धांत है ।
सच्चे मन से हम प्रभु से कुछ मांगते हैं तो उससे कहीं ज्यादा की पूर्ति प्रभु करते हैं । प्रभु कृपा के साक्षात दर्शन इस प्रसंग में मैंने किए ।
बालकिशन सोनी
इच्छलकरणजी
नाम / Name : Mr. Balkishan Soni
प्रकाशन तिथि / Published on : 08 May 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मैं 78 वर्ष का हूँ । मेरा कपड़े का व्यवसाय है । परिवार में तीन लड़के, दो लड़कियां एवं पत्नी है ।
मेरा काफी समय सत्संग में बीतता है एवं मैंने प्रायः सभी तीर्थों की यात्रा कर ली है ।
सत्संग में मेरी विशेष रुचि है एवं वर्ष में छः महीने मैं धार्मिक आयोजनों का लाभ लेने हेतु घर से बाहर तीर्थों में रहता हूँ ।
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Real-life memoir by Smt. Mandankini Ashok Aasawa titled दुर्घटना में रक्षा
Indexed as (1) ACCIDENT MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how GOD saves a family in an accident. In a severe accident, all the family members escape without a scratch.
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दुर्घटना में रक्षा
मेरी बहू के गुर्दे का ऑपरेशन हुआ था । हर महीने जाँच और आगे के इलाज के लिए हमें पुणे जाना पड़ता था ।
जब हम अपने शहर कोल्हार से पुणे डॉक्टर को दिखाने जाते थे तो नियमपूर्वक रांजनगांव स्थित प्रभु श्री अष्ट विनायक गणपतिजी के मंदिर के दर्शन करते थे ।
एक बार की बात है । गाड़ी में मेरे पति एवं मेरा बेटा, मेरी बहू को डॉक्टर को दिखाने पुणे जा रहे थे । बीच में उनकी गाड़ी जोरदार रूप से दुर्घटनाग्रस्त हुई । एक ट्रक ने पीछे से आकर जोरदार टक्कर मारी । गाड़ी टक्कर के कारण पीछे से एकदम चपटी हो गई पर प्रभु की साक्षात कृपा के दर्शन हुए कि हमारे परिवार के तीनों लोगों को खरोंच तक नहीं आई । प्रभु ने उनका बाल भी बाँका नहीं होने दिया ।
हमें साक्षात अनुभव हुआ कि नियमस्वरूप हमेशा पुणे जाते वक्त प्रभु के दर्शन के लिए रुकते थे और आज विपत्ति के समय प्रभु ने कैसे हमारी रक्षा की ।
टक्कर के कारण गाड़ी पीछे से इतनी बुरी तरह से चपटी हो गई थी कि उसे देखकर यह मानना मुमकिन नहीं था कि इसमें बैठे किसी को चोट नहीं आए । उसमें बैठे लोगों को चोट नहीं आए यह असंभव प्रतीत होता था । पर जब प्रभु रक्षा करते हैं तो असंभव भी संभव हो जाता है । संपादक टिप्पणी - प्रभु पर दृढ़ विश्वास रखने पर विपत्ति में रक्षा की जिम्मेदारी प्रभु की बन जाती है और प्रभु अपने जिम्मेदारी का निर्वाह बखूबी करते हैं ।
गाड़ी को जो टक्कर लगी थी वह इतनी जोरदार थी कि गाड़ी को ठीक करवाने में लाखों का खर्च आया ।
श्रीमती मंदाकिनी अशोक आसावा
कोल्हार भगवती (अहमदनगर-महाराष्ट्र)
नाम / Name : Smt. Mandankini Ashok Aasawa
प्रकाशन तिथि / Published on : 15 May 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मेरी उम्र 61 वर्ष की है । परिवार में दो लड़के-बहू और 2 पोतियां हैं जो साथ रहते हैं ।
प्रभु की श्रद्धा से पूजा-सेवा करना मुझे अच्छा लगता है । मैं जो भी पूजा-सेवा करती हूँ वह श्रद्धा से करती हूँ ।
कोल्हार में भगवती मंदिर है जिसकी मेरी मान्यता है ।
प्रायः सभी तीर्थों के दर्शन मैंने कर लिए हैं । सत्संग मुझे अच्छा लगता है और जहाँ भी सत्संग का मौका मिलता है, मैं उसका लाभ लेने जाती हूँ ।
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Real-life memoir by Mr. Ram Babu Vijay titled प्रभु ने अरदास सुनी
Indexed as (1) MEDICAL MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how the upkeep of faith in GOD brings an end to a distress situation of a lady. The doctors suggested an operation but GOD had other means to cure.
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प्रभु ने अरदास सुनी
घटना तब की है जब बैंक की नौकरी करते हुए मेरा स्थानांतरण रतलाम में ट्रेनिंग ऑफिसर के रूप में हुआ था ।
वहाँ दो दिन तक मेरी पत्नी के पेट में बहुत दर्द उठा । डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने कहा कि बच्चेदानी में गड़बड़ी है और उसे ऑपरेशन करके निकालना पड़ेगा । डॉक्टर ने कहा कि आप तुरंत पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराओ ।
पत्नी एकदम घबरा गई और जब हम वापस घर पहुँचे तो पत्नी रोने लगी । उसके पेट में बहुत दर्द हो रहा था ।
विपत्ति के समय मैंने सदैव की तरह प्रभु को याद किया । मेरी आस्था प्रभु श्री गणपतिजी में थी और मैंने उज्जैन स्थित प्रभु श्री चिन्तामणि गणपतिजी के मंदिर में जाकर दर्शन किया और प्रभु से विपत्ति निवारण के लिए अरदास की ।
फिर क्या था पत्नी ने भी प्रभु से मनौती मांगी कि मैं ठीक हो गई तो आपके दर्शन के लिए आऊंगी ।
उसी रात को पत्नी को एक उल्टी हुई जिससे उसे काफी राहत मिली और वह रात को सो गई । सुबह उठी तो पूरी तरह से पेट दर्द गायब था ।
हम वापस डॉक्टर से मिले तो डॉक्टर ने जाँच करके कहा कि अब सब ठीक है और ऑपरेशन की अब कोई जरूरत नहीं है ।
कहाँ ऑपरेशन की तैयारी थी और कहाँ बिना ऑपरेशन एक उल्टी में ही सब कुछ ठीक हो गया । संपादक टिप्पणी - प्रभु के श्रीहाथ बहुत लम्बे होते हैं और प्रभु के तरीके अनोखे होते हैं । मेडिकल साइंस की एक तय सीमा पर प्रभु कृपा की कोई सीमा नहीं होती ।
प्रभु ने सब कुछ ठीक कर दिया था और प्रभु कृपा के साक्षात दर्शन इस प्रसंग में हम पति-पत्नी को हुए ।
राम बाबु विजय
उज्जैन
नाम / Name : Mr. Ram Babu Vijay
प्रकाशन तिथि / Published on : 22 May 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मेरी उम्र 66 वर्ष की है । मैंने M.Com, LLB एवं CA LLB किया है । मैंने ज्योतिष का अध्ययन भी किया है ।
मैंने बैंक की 38 वर्ष सन 1969 से 2008 तक नौकरी की और मुख्य प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुआ ।
परिवार में पत्नी, एक लड़का एवं दो लड़कियां हैं । मैंने सारे तीर्थों के दर्शन कर लिए हैं एवं सत्संग मुझे प्रिय है । जहाँ भी सत्संग का मौका मिलता है, मैं उसका लाभ लेने के लिए जाता हूँ ।
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Real-life memoir by Mr. Shiv Prasad Toshniwal titled मंत्र का चमत्कार
Indexed as MEDICAL MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how the upkeep of faith in GOD and chanting of sacred texts turns a distress situation into a normal one. The doctors were surprised and accepted the miracle.
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मंत्र का चमत्कार
मेरी बहू की प्रसूति के समय की यह घटना है ।
प्रसूति के ठीक पहले उसे काफी परेशानी हो रही थी । ऐन वक्त पर डॉक्टरों ने कहा कि अब ऑपरेशन करना पड़ेगा ।
हम सभी घर वाले घबरा गए पर मुझे प्रभु पर पूरा विश्वास था ।
मैंने तत्काल श्रीगायत्री मंत्र की पांच माला करी और करते वक्त अगरबत्ती जलाई । माला पूरी होने पर अगरबत्ती की राख को लाकर मैंने अपनी पुत्रवधू के माथे पर लगाया ।
पांच मिनट बाद ही साधारण प्रसव से पहला बच्चा हुआ और उसके आठ मिनट बाद ही दूसरा जुड़वा बच्चा भी साधारण प्रसव से हुआ ।
दोनों बच्चे और मेरी बहू स्वस्थ थे । उनके ऊपर से संकट हट चुका था ।
डॉक्टर भी आश्चर्यचकित थे कि यह कैसे संभव हुआ । डॉक्टर ने मुझे बुलाकर मेरी पीठ थपथपाई और कहा कि यह चमत्कार आपके मंत्र की शक्ति के कारण ही संभव हुआ है । संपादक टिप्पणी - श्रीगायत्री मंत्र भगवती गायत्री माता का अमोघ और सिद्ध मंत्र है । इसकी शक्ति अदभुत है । किसी भी विपत्ति निवारण में यह पूर्ण रूप से समर्थ है ।
मैंने उसी समय संकल्प किया कि इस उपलक्ष्य में प्रभु का गुणानुवाद करवाऊँगा और दो महीने बाद हमारे घर पर प्रभु की कथा हुई । उस कथा में प्रभु के जन्मोत्सव के उत्सव में मेरे पोते को प्रभु की बालरूप की झांकी में प्रभु का बालरूप बनाया गया ।
शिव प्रसाद तोषनीवाल
जिंतुर (महाराष्ट्र)
नाम / Name : Mr. Shiv Prasad Toshniwal
प्रकाशन तिथि / Published on : 29 May 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मेरी उम्र 78 वर्ष की है । मैंने अनाज का व्यापार किया और फिर कपड़े का व्यवसाय किया ।
मेरे परिवार में चार लड़के हैं जो मेरे साथ रहते हैं और अब व्यापार संभालते हैं । मैं सेवानिवृत्त हो चुका हूँ ।
मैंने सभी तीर्थों के दर्शन कर लिए हैं और पिछले 18 वर्षों से पूरे वर्ष में एक महीने ऋषिकेश आकर रहता हूँ ।
सत्संग मुझे प्रिय है और जहाँ भी सत्संग का मौका मिलता है मैं उसका लाभ लेता हूँ ।
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Real-life memoir by Smt. Sulochana Ghanshyam Jhawar titled प्रभु की मेरे पोते पर कृपा
Indexed as BUSINESS MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how GOD answers a prayer of a lady for admission of her grandson in an esteemed college. This memoir is unique because it shows that even in small matters if we seek the help of GOD we will find His kindness and mercy.
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प्रभु की मेरे पोते पर कृपा
छोटी-छोटी बातों में भी अगर हम प्रभु को पुकारते हैं तो प्रभु कृपा के दर्शन हमें तत्काल होते हैं ।
बात जुलाई 2014 की है जब मैं स्वर्गाश्रम श्रीमद् भागवतजी महापुराण के दशम स्कंध की कथा श्रवण हेतु आई हुई थी ।
मेरे पोते का कॉलेज में प्रवेश होना था । मैंने प्रभु से अरदास की और मांगा कि पोते का सबसे अच्छे कॉलेज में प्रवेश हो जाए ।
मैं स्वर्गाश्रम स्थित श्रीराम मंदिर गई और अपने पोते के लिए प्रभु से आशीर्वाद लिया । फिर प्रेरणा हुई की कुछ माला का जप अपने पोते के लिए किया जाए । मेरे गुरुजी जो प्रभु कथा का वाचन कर रहे थे, मैं उनसे मिलने गई और उनसे माला ग्रहण की । फिर मैंने माला का जप श्रद्धाभाव से पूर्ण किया ।
फिर क्या था प्रभु की अनुकम्पा हुई और मेरे पोते को एक बहुत बड़े कॉलेज में दाखिला मिल गया । पोते का फोन आया तो मैं अभिभूत थी कि कैसे प्रभु ने चुटकी में इच्छा पूर्ति कर दी ।
मैंने प्रभु को पुकारा और प्रभु ने इच्छा पूरी करने में देर नहीं लगाई । प्रभु कृपा के साक्षात दर्शन इस प्रसंग में मुझे हुए । संपादक टिप्पणी - प्रभु का सामर्थ्य इतना बड़ा है कि प्रभु में विश्वास हो और सच्ची अरदास की जाए तो छोटी-से-छोटी और बड़ी-से-बड़ी इच्छा प्रभु चुटकी में पूर्ण करते हैं ।
श्रीमती सुलोचना घनश्याम झंवर
जयसिंहपुर (कोल्हापुर-महाराष्ट्र)
नाम / Name : Smt. Sulochana Ghanshyam Jhawar
प्रकाशन तिथि / Published on : 05 June 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मेरी उम्र 70 वर्ष की है । परिवार में तीन बेटे-बहू, पोते-पोती हैं जो सभी साथ रहते हैं ।
मैंने चार धाम की यात्रा, श्री अमरनाथजी के दर्शन, श्री वैष्णो देवी माता के दर्शन और चौरासी कोस की श्रीबृज यात्रा की है । इसके अलावा भी अन्य प्रमुख तीर्थों के दर्शन मैंने कर लिए हैं ।
सत्संग का जहाँ भी मौका मिलता है मैं उसका लाभ लेने के लिए जाती हूँ ।
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Real-life memoir by Smt. Kalavati Kabra titled प्रभु की कृपा से पुत्री का विवाह
Indexed as FAMILY MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how the upkeep of faith in GOD in a situation where there is a marriage planned 21 days ahead and a business loss occurs. GOD sends help which retrieves the situation.
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प्रभु की कृपा से पुत्री का विवाह
मेरे पिताजी ने मेरी शादी डॉक्टर से करना तय की ।
मेरी शादी हुई और गृहस्थी अच्छी तरह से चली । प्रभु कृपा से जीवन में अच्छे दिन देखे और मेरे पति ने डॉक्टर की आजीविका से कमाई पूंजी जोड़कर एक ऑयल मिल लगाई ।
घटना उस समय की है जब मेरी बेटी की सगाई तय हुई और शादी के लिए 21 दिन बाद का ही सावा निकला । आगे बहुत दिनों तक कोई सावा नहीं था । उसी समय ऑयल मिल में घाटा लगा और स्थिति ऐसी हो गई कि अब शादी हेतु रुपयों की व्यवस्था कैसे होगी ।
बचपन से ही मुझे प्रभु से जुड़ने का संस्कार मिला था और प्रभु सेवा मैं निरंतर करती आ रही थी । विपत्ति के समय मैंने प्रभु की शरणागति ली । संपादक टिप्पणी - प्रभु से जुड़े रहने का संस्कार बचपन से होने पर जीवन की किसी भी अवस्था में विपत्ति निवारण की जिम्मेदारी प्रभु ले लेते हैं ।
प्रभु की ऐसी कृपा हुई कि प्रभु प्रेरणा से मेरे पति के दोस्त आगे आए और रुपए दिए और कहा कि जब कमाई हो तो लौटा देना ।
प्रभु ने मेरे पति के दोस्तों के माध्यम से इतनी मदद भेजी कि शादी इतने सुन्दर ढंग से हुई कि सभी ने उसकी सराहना की । संपादक टिप्पणी - प्रभु संसार को निमित्त बनाकर हम तक सहायता पहुँचाते हैं । सहायता की हर परिस्थिति के पीछे हमें प्रभु के अदृश्य श्रीहाथों को देखने की कला आनी चाहिए ।
घाटे के कारण हमारे पास शादी हेतु व्यवस्था नहीं थी और शादी के लिए समय भी बहुत कम बचा था, फिर भी प्रभु ने तत्काल रुपयों की व्यवस्था करवाई और बड़े सुन्दर ढंग से विवाह को अंजाम दिया ।
श्रीमती कलावती काबरा
गंगाखेड़ (परभणी-महाराष्ट्र)
नाम / Name : Smt. Kalavati Kabra
प्रकाशन तिथि / Published on : 12 June 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मेरी उम्र 69 वर्ष की है । मेरे पति डॉक्टर हैं और परिवार में दो बेटे-बहू, तीन पोतियां एवं एक पोता है जो साथ रहते हैं ।
प्रभु के बालरूप श्री लड्डूगोपालजी की सेवा करती हूँ ।
प्रायः सभी तीर्थों के दर्शन मैंने कर लिए हैं और सत्संग मुझे बहुत प्रिय है । मैं सत्संग के बिना नहीं रह सकती इसलिए जहाँ भी सत्संग का मौका मिलता है मैं उसका लाभ लेने के लिए जाती हूँ ।
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Real-life memoir by Mr. Balkishan Soni titled प्रभु के साथ-साथ
Indexed as (1) PILGRIMAGE MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how a relationship can be developed between a devotee and GOD. Both want to stay with each other.
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प्रभु के साथ-साथ
मैं वल्लभ संप्रदाय से हूँ और हमारे यहाँ प्रभु के बालरूप में श्री लड्डूगोपालजी (श्री लालाजी) की सेवा होती है । निरंतर प्रभु सेवा चलती है और प्रवास के दौरान भी प्रभु विग्रह और प्रभु सेवा साथ चलती है ।
एक बार की बात है । किसी परिचित ने श्रीशुक्रताल में श्रीमद् भागवतजी ज्ञानकथा का आयोजन किया । हमें भी निमंत्रण आया और हम लोगों ने जाने का मानस बनाया ।
पर पत्नी प्रभु श्री लालाजी को प्रवास के दौरान नहीं ले जाना चाहती थी ताकि प्रभु सेवा में कोई बाधा न पड़े । श्रीशुक्रताल हमारे लिए नई जगह थी और नई जगह प्रभु के सेवा की व्यवस्था सुचारु रूप से नहीं हो पाएगी इस विचार से प्रभु श्री लालाजी को घर पर ही छोड़ कर जाने का विचार पत्नी ने किया ।
प्रभु श्री लालाजी ने पत्नी की साड़ी का पल्ला खींचा, ऐसी अनुभूति दी । प्रभु श्री लालाजी साथ जाना चाहते हैं ऐसा आभास हमें हुआ ।
पर फिर भी हम बिना प्रभु श्री लालाजी को लिए श्रीशुक्रताल के लिए निकल गए । हमारी गाड़ी 60 किलोमीटर ही पहुँची थी कि मेरे बेटे का फोन आया कि जहाँ हो वहीं गाड़ी से उतर जाओ क्योंकि जो परिचित श्रीमद् भागवतजी महापुराण का आयोजन करवा रहे थे उनकी बहू का देहान्त हो गया है और कथा इस कारण स्थगित कर दी गई है ।
हमें बात साफ दिखने लगी कि प्रभु को बिना लिए हमने जाने का निश्चय किया और प्रभु ने हमें जाने नहीं दिया ।
फिर एक वर्ष बाद वह कथा पुनः आयोजित हुई । इस बार हमने वह गलती नहीं दोहराई और प्रभु श्री लालाजी को साथ लेकर गए और पूरी कथा का रसास्वादन किया ।
प्रभु कृपा का साक्षात अनुभव किया कि प्रभु अपने सेवादार के साथ रहना चाहते हैं । प्रभु की भाव से सेवा की जाए तो प्रभु साक्षात श्रीविग्रह में वास करते हैं ।
प्रभु साक्षात श्रीविग्रह में वास करते हैं इसका एक और छोटा-सा अनुभव मैं बताना चाहता हूँ ।
एक गरीब की बेटी की शादी नहीं हो रही थी । उसे हमने प्रभु श्री लालाजी के दर्शन कराए और उसे प्रभु से प्रार्थना करने को कहा । उसने ऐसा ही किया । फिर एक वर्ष बाद वह मिली तो कहा कि बेटी की शादी भी हो गई और नाती भी हो गई ।
प्रभु साक्षात रूप में श्रीविग्रह में वास करते हैं और पुकार सुनते हैं और कृपा करते हैं । संपादक टिप्पणी - यह बिलकुल सत्य तथ्य है कि अगर प्रभु की सच्चे मन से सेवा की जाए तो प्रभु साक्षात रूप से साथ होने की अनुभूति देते हैं और जीव पर कृपा बरसाते रहते हैं ।
बालकिशन सोनी
इच्छलकरणजी
नाम / Name : Mr. Balkishan Soni
प्रकाशन तिथि / Published on : 03 July 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मैं 78 वर्ष का हूँ । मेरा कपड़े का व्यवसाय है । परिवार में तीन लड़के, दो लड़कियां एवं पत्नी है ।
मेरा काफी समय सत्संग में बीतता है एवं मैंने प्रायः सभी तीर्थों की यात्रा कर ली है ।
सत्संग में मेरी विशेष रुचि है एवं वर्ष में छः महीने मैं धार्मिक आयोजनों का लाभ लेने हेतु घर से बाहर तीर्थों में रहता हूँ ।
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Real-life memoir by Brahmachari Ajay Surekha titled गौ-माता ने कराई प्रभु अनुभूति
Indexed as (1) PILGRIMAGE MEMOIR
Editor's Introduction : This memoir shows how the Holy cow blesses us as mother and leads us closer to GOD. GOD Shree Krishnaji in his incarnation loved to serve the Holy cow.
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गौ-माता ने कराई प्रभु अनुभूति
गौ-माता विश्व की माता है । प्रभु ने श्रीकृष्णावतार में गोपाल बनकर गौ-माता का संरक्षण किया । गौ-माता हमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति करवाती है । गौ-माता की सेवा से जीवन में सुख और समृद्धि आती है क्योंकि गौ-माता की सेवा प्रभु की ही सेवा है । गौ-माता की सेवा से जुड़े घर में संकट नहीं आएगा । गौशाला एक तीर्थ स्वरूप होता है ।
घटना 2012 की है । बीकानेर की एक गौशाला में रहने के लिए मैं गया । वहाँ लगभग 475 गौ-माताओं का निवास था और वहाँ गौ-माता की निष्काम सेवा होती थी । उस गौशाला में बिना दूध देनेवाली गायें थी और उनकी पूर्ण सेवा होती थी इसलिए गौ-माता का पूर्ण आशीर्वाद वहाँ सबको मिलता था ।
प्रभु की ऐसी कृपा हुई कि गौ-माता के सानिध्य में गौशाला में रहते हुए मुझे प्रभु की अनुभूति हुई । मैं न ही ध्यान करता था और न ही माला जपता था पर फिर भी प्रभु की कृपा गौशाला में रहने और मात्र गौसेवा करने के कारण हुई । संपादक टिप्पणी - प्रभु ने श्रीकृष्णावतार में गौ सेवा का आदर्श प्रस्तुत किया है । आज के भौतिक युग में बिना दूध देने वाली गौ-माता का लालन-पालन करने वाली गौशाला धन्य होती है और एक तीर्थ स्वरूप ही होती है और वहाँ पर प्रभु की विशेष अनुकम्पा रहती है ।
गौ-माता की सेवा कभी विफल नहीं जाती है । गौ सेवा भी एक प्रकार की प्रभु की सेवा ही है जिसका फल निश्चित रूप से मिलता है ।
ब्रह्मचारी अजय सुरेखा
काशी
नाम / Name : Brahmachari Ajay Surekha
प्रकाशन तिथि / Published on : 08 July 2015
संक्षिप्त प्रेषक परिचय / Brief Introduction of Sender : मेरी उम्र 48 वर्ष की है । पिछले 21 वर्षों से मैं श्रीकाशी में रहता हूँ । गौ सेवा में मेरी विशेष रुचि है और गौ सेवा से मैं जुड़ा हुआ हूँ ।
10 वर्षों तक मैंने आयुर्वेदिक फैक्टरी का संचालन किया । आयुर्वेद की मुझे पूरी जानकारी है ।
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